बृहस्पति गृह के मंत्र और शांति : Vedic remedies for Jupiter in horoscope
Jupiter is the largest planet in the
known universe. The fourth day of the week- Thursday is ruled by it. It
signifies expansion, wealth, knowledge, law, philosophy, and religion. When it
is weak in a chart or malefic for the ascendant then it makes one
characterless, fearful, and flickering. The native may be punished by the law.
The mantras to appease Jupiter are:
अगर आपको लगता है की हमारे दिए हुए ज्ञान
से आप लाभान्वित हुए हैं और हमारे कार्य को सराहते हैं तो कोई भी धनराशी से आप
हमारी सहायता कर सकते हैं नीचे दिए लिंक से | यह पूर्णतः आपकी स्वेच्छा पर निर्भर
है |
International payments : paypal direct link
Paypal.me/acharya1974
हिंदी ज्योतिष की किताबें हमारे लिंक से
लेकर भी आप हमारी सहायता कर सकते हैं - https://amzn.to/3zQxfL5
कृष्णामूर्ति पद्धति की हिंदी में
पुस्तकें : https://amzn.to/3ulv8Op
KP Astrology books in English
रेकी की हिंदी
में पुस्तकें इस लिंक से लीजिये
reiki books in English buy from this
link
Vedic
Mantra:
ऊँ
बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेधु।
यद्दीदयच्छवस
ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण देहि चित्रम ।।
Gayatri
Mantra:
ऊं
गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात
॥
Beej
Mantra:
ॐ
ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम:
।।
Tantrik
Mantra:
ॐ
बृं बृहस्पतये नम:।।
गुरू
ताकतवर या सबसे उदार ग्रह है। सप्ताह का चौथा दिन बृहस्पतिवार गुरू से जुड़ा हुआ
है। यह हर परिस्थिति को विशाल दृष्टिकोण से देखने की क्षमता रखता है। गुरु के
मजबूत होने से धन-धान्य वृद्धि, सुखोपभोग, विवेकशीलता, तर्क-न्याय
से भरा जीवन सुलभ होता है किंतु उसका बलहीन होना विवेकहीन, अन्यायी, कलंक
आदि अपमान, राज दण्ड से भय आदि प्रदान करवाता है। गुरु के
कुप्रभाव को कम करने के उपाय -:
वैदिक
मंत्र
ऊँ
बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेधु।
यद्दीदयच्छवस
ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण देहि चित्रम ।।
गायत्री
मंत्र -:
ऊं
गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात ॥
बीज
मंत्र -:
ॐ
ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम:।।
तांत्रिक
मंत्र -:
ॐ
बृं बृहस्पतये नम:।।
No comments:
Post a Comment