शनि का बारह घरों पर प्रभाव effect of Saturn in the 12 houses of horoscope
प्रथम
घर -: शनि के प्रथम भाव में होने पर व्यक्ति राजा जैसा जीवन व्यतीत करता है। शनि
के अशुभ फल देने की स्थिति में जातक रोगी, गरीब और बुरे कर्मों में
लिप्त रहता है।
दूसरा
घर -: दूसरे घर में शनि के होने पर जातक निंदित कार्यों एवं साधनों से अपार धन कमाता
है
। यह निर्धन होते हैं तथा इन्हें नेत्र रोगों के कारण कष्ट मिलता है। ऐसा व्यक्ति सुख- समृद्धि की खोज में दुर्गम स्थानों की यात्रा करता है।
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तीसरा
घर -: तीसरे भाव में शनि की उपस्थिति में जातक बुद्धिमान और उदार बनता
है। ऐसे व्यक्ति को स्त्री का सुख प्राप्त
होता हैं लेकिन यह आलसी होते हैं।
इनके सौभाग्य के उदय में कई बाधाएं आती हैं।
चौथा
घर -: इन जातकों की माता नहीं होती। यह घर-गृहस्थी
की जिम्मेदारी उठाने मेंसक्ष्म नहीं होते। ऐसे व्यक्ति तथा उसके माता–पिता के बीच हमेशा कलह रहती हैं। इनकी रुचि वैज्ञानिक विषयों
में रहती है।
पांचवा
घर -: इस घर में शनि के होन पर जातक के प्रेम
संबंध बनते हैं। वह अपने परिवार के प्रति उदासीन रहता है।
यह जातक शैतान और दुष्ट
बुद्धि वाला होता है।
छठा
घर -: छठे भाव में शनि हो तो वह जातक
परिश्रमी, सुंदर,साहसी, कुटिल स्वभाव वाला होता है। यदि शनि निर्बल हो तो जातक को रोग, शत्रु का भय एवं ऋण रहता है।
सातवां
घर -: इस भाव में शनि होने पर जातक रोगी, गरीब, मेहनती, पापी होता है। सातवें भाव में वक्री शनि के कारण जीवनसाथी से
वियोग होता है
आठवां
घर -: शनि के आठवें घर में होने पर जातक कुष्ठ या भगंदर रोग से पीडित रहता है। उसकी दीर्घायु होती है। यह जातक
ज्योतिषी का ज्ञान रखता है एवं
यह दार्शनिक या वक्ता होता है। यह तांत्रिक, भूत विद्या, काला जादू आदि जैसे कार्यों से धन कमाता है।
नौंवां
घर -: नवम भाव में शनि हो तो वह जातक अधर्मी, गरीब, पुत्रहीन रहता है। इस भाव में वक्री शनि के
कारण जातक को पूर्वजों से धन प्राप्त होता है।
दसवां
घर -: इस भाव में शनि की उपस्थिति व्यक्ति को धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री
या किसी उच्च पद पर आसीन करती है।
ग्यारहवां
घर -: ग्याहरवें भाव में शनि होने पर जातक दीर्घायु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोगी बनता है। यह जातक चापलूस होते हैं।
बाहरवां
घर -: इस भाव में शनि की उपस्थिति पर जातक का मन अशांत रहता है
। यह जातक कुटिल दृष्टि, निर्दयी, निर्लज एवं खर्चीले होते हैं।
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