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Thursday, October 15, 2015

सूर्य का कर्क राशी में गोचर फल sun transit in cancer

        सूर्य का कर्क राशी  में गोचर फल  sun transit in cancer


१) मेष : सूर्य  आपके चतुर्थ  भाव में गोचर करेगा। वैसे तो सूर्य दग्ध तप्त गृह है और इसकी  गर्मी से परेशानी ही होनी है - स्वाभाविक सी बात है की गरम लोहे की छड़ को हाथ  से पकड़ेंगे तो जलना निश्चित है भले ही आप कितने ही अच्छे कर्मकार हों -  इस से कोई फर्क नहीं पड़ता।   तो समझदार लोग उसपर पानी डाल  देते हैं जिससे पानी  भले ही वाष्प बन जाए मगर गर्मी कम कर जाता है और काम करने में आसानी होती है। ठीक यही बात ग्रहों के साथ भी लागू होती है।  जल राशि में आने पर वर्षा दे सकता है - भावनाओं की वर्षा हो सकती है - प्रेम की -  क्रोध की - अतीत की यादों की , पुराने दिनों  की याद में खुश हो सकते हैं। अब थोड़ी तबियत में भी कमी तो आएगी ही , भावुक होना कमज़ोरी है और साथ ही इस भाव से ह्रदय भी देखते हैं तो रक्त चाप का ध्यान रखना है , आवेगों को अपने में  समेट कर रखना है  - नहीं तो नुक्सान आपका ही है। घर में थोड़ा बहुत विवाद हो भी तो बेहतर है  प्रतिक्रिया न दें

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२) वृषभ :  ३,६,११ भावों में क्रूर ग्रहों को अच्छा माना जाता है।  अब आपके लिए तो ख़ुशी की ही बात हुई - संचार के  घर में सूर्य का आना आपको नयी विविधता से ओतप्रोत कर देगा।  अापमें जो अक्खड़ता है उसमें थोड़ी कमी कीजिये , अहंकार को फेंक कर दूसरों  की बातों को समझने का भी प्रयास कीजिये। दुनिया में सिर्फ  आप ही सबसे समझदार नहीं है और न ही ऐसा है की आपके एक ही बात पर अड़े  रहने से कुछ भला होने वाला है। भाई , सबकी सुनिए - समझिए - बहुत बार ईश्वर  हमसे कुछ कहना चाहते हैं तो माध्यम हमारे मित्र पडोसी सहकर्मी  पहचान वाले को बना देते हैं - खुद तो आपके लिए  धरती पर अवतरित नहीं होंगे।   और ऐसा नहीं है की सिर्फ सुनना ही है - अपने दिल की बात भी सबसे साझा कीजिये - तभी तो लोगों को पता चलेगा की आपके दिल  में कितने समंदर एक साथ बह रहे हैं -  तभी तो जीवन में बातें आगे बढ़ेंग ।


३) मिथुन : घर में सबको खुश रखना घर के प्रधान का परम कर्त्तव्य होता है। लेकिन साथ में यह बात भी है की आग जहाँ भी हो नुक्सान तो करती है। समझदारी बनाये रखना और क्रोध और घमंड को त्याग देना ही सबसे बढ़िया काम होता है।  घर के लोगों से कैसा अहंकार - मैंने देखा बहुत बार - लोग अपने ही  बच्चों से अपनी तुलना करते हैं हैं और अपने ही बच्चों के मन में हीं भावना स्वयं ही पैदा करते हों और बाद में बहुत पछताते हैं। क्या ज़रुरत है इन सबकी ?और घर में बहुत सारी चीज़ों की ज़रुरत लगी ही रहती है , कई बार पुराना टीवी - सोफ़ा आदि को बेच कर नया भी लेना चाहिए - यही तो समय है - सोना भी खरीदने का मन हो तो ज़रूर खरीदिए - जो ले सकते हैं उनको लेना चाहिए। काम ही आता है बुरे वक़्त में। हाँ यह ज़रूर ध्यान रखिये की घर के बड़े लोगों को सम्मान पूरा दें और उनकी हर इच्छा को पूरा  करने की कोशिश करें ।
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४) कर्क :  यह तो स्वाभाविक है की सूर्य जब लग्न में आएगा तो आपको मानसिक परेशानी तो देगा। लेकिन आपको सिर्फ स्वयं पर नियंत्रण ही तो बनाना है इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए - और कुछ थोड़ी करना है। लेकिन सिर्फ इतनी सी बात नहीं है - आपको पता ही है सूर्य राजा भी है - तो राजाओं की आन बान और शान तो अलग ही होती है होती है - आप चाहे जिस भी सामाजिक स्थिति में हों - आपमें स्वयं के प्रति प्रेम अधिक हो जाएगा - आप सोचेंगे की मैं कैसा दिख रहा हूँ /  रही हूँ  आदि , आपको अपने कपड़ों या पूरे पहनावे को लेकर एक सोच बनी रहेगी।  और यह तो अच्छा ही है न - सभी चाहते हैं की आज के समय  में अच्छे दिखें - जो दिखता है वही तो बिकता है वाली कहावत तो  आपने सुनी ही  है।  सिरदर्द हो सकता है - मामूली सी बात है - आपके जीवनसाथी के कारन भी हो सकता है और वैसे भी - तो एक तो आपका शांत रहकर ठीक  हो जाएगा और दुसरे में मालिश करवा लीजियेग


५) सिंह : द्वादश भाव सूर्य के लिए बिलकुल भी  अच्छा नहीं है , एक तो यह छिपी हुई भावनाओं और कृत्यों का भाव है जो सूर्य की प्रकृति की बिलकुल विपरीत है - सूर्य तो जो करता  है सबके सामने ही करता है। चन्द्रमा है जो रात में आता है और चुपचाप चला भी जाता है।  सिर्फ कवि और दीवाने लोग ही हैं जो जाग जाग कर उस पर लिखते रहते हैं। मन में बहुत उद्विगनता बनी रह सकती है।  आगे क्या करना है कैसे करना है , इन सब बातों पर ध्यान देने के लिए सही वक़्त है। आत्मवलोकन के लिए बहुत  अच्छा समय है।  आँखों का ध्यान रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की दुर्भावना को मन में स्थान नहीं देना चाहिए और सोच को सही रखना ही सबसे अच्छा है ।


६) कन्या : दोस्तों के साथ समय देना कितना आनंद देता है , सभी  जानते हैं - मित्र  ही तो हमारी सबसे बड़ी पूँजी होते हैं। मित्रों के साथ कैसा भेदभाव करना ? सबके साथ चलना  चाहिए और हर समय मदद करने के लिए  तत्पर रहना चाहिए।  आखिर इतनी सारी दौलत का करेंगे क्या ? एक दिन इस संसार सागर को  छोड़ देना है।  थोड़ी बहुत अनबन तो चलती रहती है - उसको दिल पर लेने से काम नहीं चलेगा। सोच को हमेशा बड़ा रखना चाहिए और दिल में सभी के लिए जगह बनी रहनी चाहिए - याद रखिये कोई भी इंसान छोटा या बड़ा नहीं होता - समय पर तिनका भी काम आ जाता है नहीं तो तलवार भी रखी की रखी   रह जाती है। ऐसा ही आपको अपने सहकर्मियों और अधिकारियों के साथ भी रहना चाहिए।  ज़रूरी थोड़ी है की कोई आपकी कमियां बता  रहा हो तो आपको बुरा ही कह रहा हो।


७) तुला :  कर्म क्षेत्र में सूर्य का आगमन तो बहुत ही अच्छा होता है। सूर्य हमें निरन्तर कर्म रत रहने की शिक्षा रोज़ सुबह से शाम तक देता ही है। नुकसान तो है थोड़ा सा - यहां सूर्य के आने से आपको   लगेगा की आप दूसरों से अच्छा  काम कर रहे हैं। थोड़ा सा अभिमान जाग जाएगा - कोई बुराई नहीं है , थोड़ा रहना कोई नुक्सान नहीं करता - लेकिन जब आप स्वयं को दूसरों पर थोपने लगते हैं , दुसरे आपसे चिढ़ने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है।  तो आगे बढ़ने ही क्यों दिया जाए ? मन में ऐसे विचार आने लगें की आपको अधिक तवज्जो मिलनी चाहिए तो अपने आप से प्रश्न कीजिये की क्या वास्तव में आपमें ऐसी क्षमता है या नहीं। आपका उत्तर ही आपका समाधान है।  मिलजुलकर चलना ही तो जीवन है। खुद में ही डूब के रह गए तो मतलब जीवन का ?

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८) वृश्चिक : यह धर्म का स्थान है और  भी बहुत सारी बातों के लिए भी इसको देखा जाता है - आपका नवम भाव। ऐसी शुभ स्थान में सूर्य का आगमन आपके आत्मिक उत्थान के लिए बहुत लाभकारी होगा। जीवन में सिर्फ  धन दौलत ही थोड़ी कमाने के लिए होती है - और चाहे आप जितने भी शून्य अपनी आमदनी में जोड़ लीजिये , जब जाएंगे तो सब यहीं रह जाएगा। कमान ही है तो पुण्य कमाइए , ईश्वर का स्नेह और आशीर्वाद कमाइए जो आपके जी के हर जंजाल को नष्ट करने में सक्षम है। आखिर कब तक मशीन जैसे भागते रहेंगे पैसे के पीछे।  कोई किताब वगेरह या अनुसंधान को छपवाना चाह रहे हैं तो बड़ा ही अच्छा समय है। शुरू हो जाइए। कोई छोटा कोर्से करने के लिए भी बहुत अच्छा समय है। किसी धर्म स्थल  पर जाने के लिए सोचिये मत , हो आइये - सब शुभ ही रहेगा।


९) धनु :  जीवन में कभी भी ऐसा नहीं होता की हमेशा आपके लिए सुख समृद्धि मान सम्मान ही बना रहे , यह तो संसार हैं और हम  लोग अपने अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं। और चाहे किसी व्यक्ति ने कितने भी अच्छे कर्म क्यों  न करे हों , कभी न कभी उसका पाला दुखों से तो पड़ना ही है - यह निश्चित है। हमारे हाथ में क्या है ? हमको सिर्फ हमारी सोच और कर्मों को नियंत्रित रखना है बाकी ईश्वर स्वयं प्रकृति द्वारा करवा देते हैं। अचानक मान हानि होने की सम्भावना तो है ही, स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव हो सकता है। तो भय को त्याग कर , प्रभु का स्मरण करते हुए अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ते रहेंगे तो फिर कैसे कोई आपका अहित कर पायेगा। आप तो इस तरह अपने शत्रुओं को भी अपना मित्र बना लेंगे। सिर्फ सोच ही तो सही रखनी है। अपनी किन्हीं छुद्र इच्छाओं की पूर्ती के लिए तंत्र मंत्र के चक्कर में मत पड़ जाइयेगा - मजाक के पात्र भी बनेंगे और पैसा जाएगा सो अलग।


१०) मकर :  ये भाव तो आपके जीवन साथी , व्यापारिक साझेदारों का होता है - यहाँ पर सूर्य न तो गोचर में ही और न जन्म समय में ही अच्छा माना जाता है।  बहुतों की पत्रिका में देखा है की सूर्य सप्तम में होने से शादी में बहुत विलम्ब हो गया या वैवाहिक सुख में न्यूनता ही बनी रही। तो  क्या करा जाय ? सूर्य तो लग्नाधिपति का शत्रु भी है , पिता भी है , आलोचक भी है ,अनुदार भी है -  यही सब आप अपने साथी से मत कीजिये - बस।  और कुछ करने सोचने  की ज़रुरत नहीं है। प्यार में बहुत शक्ति होती है - आज़मा के तो देखिये , सभी मीठी बोली के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। दोनों मिलकर आपसी मनमुटाव की वजहों को पता  दूर कर सकते हैं - याद रखिये चाहे व्यापारिक सम्बन्ध हो या पति /पत्नी के - कोई तीसरा उसमें कुछ नहीं  करने वाला है।  जो करना है आपको ही करना है


११) कुम्भ : आपके लिए तो सूर्य स्वयं ही सप्तमेश होता है , इसलिए बहुत बार शादीशुदा जीवन सुखी नहीं होता। वही सूर्य छठे घर में चला जाएगा।  अपने घर से १२वीन घर में जाने पर गृह को दिक्कत होती है उस घर का फल पूर्ण रूप से देने में , वैसे यह अच्छा भाव है सूर्य के फल एक तरफ तो उतने अच्छे नहीं रहेंगे लेकिन दूसरी तरफ आपको काम काज में बरकत भी होगी। यही  प्रकृति का स्वभाव है - एक तरफ कमी होती है तो दूसरी तरफ बढ़ोत्तरी भी मिलती है लेकिन हम इंसानों को सब कुछ हमेशा पूरा का पूरा ही चाहिए होता है। और उसके लिए भगवान बनना पड़ेगा , क्योंकि उसके अतिरिक्त और  कोई भी पूर्ण नहीं है। अपने लालच पर नियंत्रण ही सबसे अच्छा है - प्रसिद्धि का लालच , अहंकार की पूर्ती का लालच , धन का लालच - इन सब को त्याग दीजिये - ये कभी काम नहीं आते


१२) मीन :  कालपुरुष की कुंडली में सूर्य नैसर्गिक रूप से पञ्चमाधिपति है , इस भाव में जाने पर अच्छा ही रहता है। कोई भी चीज़ हर तरह से अच्छी नहीं हो सकती जैसे हम हमारे मित्र का लिए अलग हैं , शत्रु के लिए अलग और संतान के लिए अलग। वैसा ही गृह भी करते हैं। यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे - श्लोक  भी है। संतान के लिए उतना अच्छा नहीं रहेगा - कोई छोटी मोटी घटना हो सकती है , कुछ गंभीर नहीं। मगर वैसे तो आपका मन बहुत अच्छा रहेगा , हंसी मज़ाक , हास्य व्यंग्य , फिल्में , संगीत कला आदि में लगे रहेंगे। काम पर भी असर तो होगा ही मगर  अच्छा ही है - काम इतना भी नहीं होना चाहिए की निजी जीवन से रस ही गायब हो जाए। वरना काम का मतलब ही क्या रहा - काम करते भी तो धन कमाने के लिए हैं - और धन को उपयोग उपभोग में नहीं लाएंगे तो उसकी दुर्गति होगी।  बेहतर है आनंद लीजिये जीवन के अनेकानेक रंग बिरंगे चरित्रों का।    

 

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I am doing astrological readings since 2000.I did free astrology readings for hundreds for long time. Now this is my primary focus. If you feel you need divine guidance through your horoscope and remedies to improve the quality of your life then this is the place to be. Hindu astrology is based on constellations and requires very careful reading and judgment. There are several yogas or combinations in your chart which give sure shot hint about your past present and future. No one can change the past but present and future can surely be corrected up to a limit and not beyond it .People who claim that they can change the future are simply doing cheating as it can be done only by GOD ALMIGHTY .There are 27 constellations, 12 signs, 9 planets and various other things to be seen in a birth chart. I use traditional approach and KP system of astrology which is more into stellar arena but is based completely upon the traditional system. My charges are 1100 INR USD 25 you can speak to me over phone/Video/ or get the answers on your mail.

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