आम आदमी पार्टी का
भविष्य
प्रिय पाठकों , वर्तमान समय में जनांदोलन से
पैदा हुई आम आदमी पार्टी रोज़ सुर्ख़ियों में आ रही है कभी अछे तो कभी बुरे प्रकरणों
को लेकर ,यह दल एक झटका है सभी बड़े दलों के लिए और कई राज्यों की सरकारें भयभीत हो
रही हैं आने वाले भविष्य से .लोगों को भी इनसे बहुत आशा और अपेक्षा है. मुख्य
विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी प्रधान मंत्री की कुर्सी के लिए हर संभव प्रयास कर
रहा है. कांग्रेस अपनी नयी छवि बनाने में लगी हुई है. मगर येही आम आदमी पार्टी
कांग्रेस के साम्र्थान से सरकार चला रही है जिस कांग्रेस को भला बुरा कहकर उसने सत्ता
पायी. लोगों में अब विश्वास का स्थान शक लेते जा रहा है की आखिर ये दल करना क्या
चाहता है. इस दल ने इनके गुरु अन्ना हजारे की सीख को भी दरकिनार कर दिया है जिसमें
उन्होंने कहा था की अभी दिल्ली पर ही ध्यान रखो लोक सभा पर नहीं, और इसके नेता भी
उटपटांग बयानबाजी कर देते हैं जैसे अभी हाल ही में प्रशांत भूषण के कश्मीर के मसले
पर कहा, एक बार थप्पड़ खाने के बाद भी उनका ऐसा रवईय्या समझ से परे है – आखिर कौन
सा ऐसा हिन्दुस्तानी होगा कश्मीर को पाकिस्तान के हवाले करने की कभी सपने में भी
सोचेगा. कई लोग पूछते हैं की इस पार्टी का क्या भविष्य है और कब तक यह कार्य
सक्षमता से कर सकेगी.
अष्टम भाव आयुष्य का मुख्य भाव है. लग्न का
उपनक्ष्त्र व्यक्ति के स्वस्थ्य की जानकारी देता है. स्थिर लग्न के लिए नवं भाव
बाधक होता है और नवमेश बधाकधिपति. द्वितीय और सप्तम मारक स्थान होते हैं.
इस कुंडली में लग्न का उपनक्ष्त्र स्वामी सप्तम
भाव में है और षष्ठेश चंद्रमा के नक्षत्र में है. चन्द्रमा बहुत अधिक पाप कर्तरी
मैं है . यह ठीक नहीं है. गुरु और सूर्य मारकेश हैं और शुक्र बधाकेश. सूर्य और
शुक्र लाभ में बैठे हैं और गुरु पंचम में है .सूर्य शुक्र के नक्षत्र में है और
शुक्र सूर्य के नक्षत्र में. शनि और गुरु दोनों ही गुरु के नक्षत्र मैं हैं और बुध
सूर्य के नक्षत्र में. राहू और शनि अष्टम भाव में है और शुक्र की राशी में हैं.
अतः राहू भी बाधकेश का कार्य करेगा.
केतु की महादशा ३१-१२-२०१५ तक है उसके बाद शुक्र
और फिर सूर्य की महादशा शुरू होगी. अतः इस दल को केतु के बाद बाधक और मारक ग्रहों
की दशा मिलेगी. राहू अपने ही नक्षत्र में है और बुध के नक्षत्र में कोई गृह नहीं
है. लग्न पर गुरु की दृष्टि तो है मगर गुरु वक्री है. शुक्र भी वक्री है. यह
कुंडली अल्पायु से मध्यायु का संकेत देती है. कोई दल एक व्यक्ति नहीं होता जिसकी
मृत्यु की तारिख देखि जा सके किन्तु हम यह अवश्य देख सकते हैं की किस समय से यह दल
निष्क्रिय हो सकता है ...वही एक तरह से दल की मृत्यु होती है.
लग्न के उपनक्ष्त्र स्वामी का सप्तम भाव में
होना और छठे भाव के स्वामी के नक्षत्र में होना संकट दर्शाता है और येही आगे चलकर
इस दल के पतन का कारण बन सकता है.
केतु की महादशा में कोई बड़ी दिक्कत आने की
सम्भावना नहीं है, मगर उसके बाद शुक्र की महाद्दशा आएगी जो की बधाकापति है और लाभ
स्थान को दर्शाता है अन्य स्थानों के साथ. राहू का अंतर १-३-२०२६ में समाप्त होगा
और उसका प्रत्यंतर १३-८-२०२३ तक रहेगा. २०२३ से २०२६ के बीच का समय हम कह सकते हैं
की इस दल के पतन का समय होगा जिसमें की यह पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो जाएगा.
इस वर्ष भारत में लोकसभा के चुनाव हैं और इस दल
का अभी केतु की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है जो ३-१-२०१५ तक रहेगा. शनि पंचम
और अष्टम भाव को बहुत स्पष्ट रूप से दर्शाता है. अतः यह किसी भी हाल में इस दल को
आशातीत सफलता नहीं लेने देगा बल्कि इसके ठीक उलटे यह दल बहुत बुरी तरह से हारेगा
.शनि लग्नेश होने साथ द्वादश भाव का भी प्रदर्शक है अतः इसी दल के लोगों के
कृत्यों द्वारा ही लोगों में इसके लिए उपेक्षा का जन्म होगा.
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