शनि मंगल की युति और जातक पर प्रभाव:saturn mars conjunction and their effect on a native
इन ग्रंहो का जो भी प्रभाव है उसकी तीव्रता
निर्भर करेगी
१)यदि कुंडली में शनि या
मंगल का अंतर चल रहा हो
२)प्रत्यंतर चल रहा हो
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१ )मीन लग्न :मीन लग्न का
स्वामी
गुरु स्वयं ही अभी रहू-केतु के अक्ष पे है जो की अपने आप में एक समस्या है
.तुला मीन लग्न का अष्टम भाव होता है और इसका स्वामी शुक्र गुरु का शत्रु है
.अष्टम भाव हर तरह की हानी ,अवरोध,बीमारी ,अपमृत्यु ,मान हानि ,जेल यात्रा ,गुप्त
धन
की प्राप्ति ,तंत्र मंत्र ,आदि अनेक चीज़ों का होता है .यहाँ मंगल द्वितीयेश और
नवमेश होता है तथा शनि लाभेश और व्ययेश होता है .२,३,५,८,१०,११ भावों के कारकत्व
प्रभावित होंगे आपकी कुंडली में अर्थात धन,परिवार,संतान पक्ष ,नौकरी तथा लाभ में
अवरोध उत्पन्न होगा .पारिवारिक स्थिति में बहुत संभल कर चलने की आवश्यकता होगी तथा
छोटी छोटी बातों को तूल देने से बचना होगा संतान के स्वस्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव
रहेगा .
आता हुआ धन रुक सकता है .यात्रा में हानि उठानी पड़ सकती है.पेट में तकलीफ
अचानक बढ़ सकती है .दांतों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है .कोई आपका विरोधी
आप पर काबू पाने के लिए तंत्र मंत्र आदि का सहारा भी ले सकता है जो बहुत ही
हानिकारक होगा .प्रेमप्रसंग समाप्त हो सकता है .सीधी आँख में अचानक चोट लग सकती है
या आँखों में दर्द की
शिकायत आ सकती है.किसी भी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क
करना उचित रहेगा .घरेलु नुस्खे काम नहीं आयेंगे .जमीन जायदाद में वाद विवाद की
स्थिति बन सकती है .
२)धनु :११,१,२,५,६,८ भाव
प्रभावित होंगे .जैसा की पहले कहा है लग्नेश स्वयं ही अभी रहू-केतु अक्ष पे है और
छठे घर में चल रहा है .मंगल १२थ तथा ५थ घर का स्वामी है .शनि दुसरे और तीसरे का
.संतान्नोत्पत्ति की संभावना है .स्वयं की सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा तथा मन
में शांति बनाये रखनी होगी .संतान पक्ष की और से कष्ट ,प्रेम सम्बन्ध में अलगाव की
प्रबलता है .अचानक धन प्राप्ति भी हो सकती है .निरर्थक व्यय होना अत्यंत संभव है
.धन को किसी के भरोसे पे न रखें .पैरों की पिंडलियों में दर्द चोट इत्यादि की बहुत
संभावना है .पेट की तकलीफ भी रह सकती है .मानहानि के प्रबल योग हैं .किसी पे आप
तंत्र के सहारे से काम निकालने की कोशिश भी कर सकते हैं .तथा इसका विपरीत भी बहुत
प्रबल है .न्यायालय का मुह देखने की स्थिति भी बन सकती है .परिवार में क्लेश
उत्पन्न होने की भी बहुत संभावना है .पिता से वाद विवाद तथा पत्नी से झगडा होने की
भी बहुत संभावना है .
३)वृषभ :आपकी लग्न में ही
अभी केतु चल रहा है और सप्तम में राहू .६,७,८,९,१०,१२,१,३, भाव प्रभावित होंगे
.आपको
इस समय में विशेष रूप से सावधान रहने की ज़रुरत है .शत्रु आप पर हावी हो
सकते हैं .भाग्य में अचानक रुकावट महसूस हो सकती है .यात्राओं पे निरर्थक व्यय भी
आप कर सकते हैं .जिसमें आप हानि भी उठा सकते हैं
.कोई दुर्घटना भी
हो सकती है .कर्मक्षेत्र मिला जुला रहेगा .कोई लम्बी
बीमारी आपको घेर सकती है और अगर चल ही रही है तो स्थिति और बिगड़ भी सकती है .बनते
हुए कामों को बिगड़ता हुआ देखंगे .अस्पताल और न्यायालय के दर्शन होने की भी
संभावना है .
कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है .रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है
.निरर्थक विदेश यात्रा के योग भी बन सकते हैं .धन के सम्बन्ध में सावधान रहने की
आवश्यकता है .
घर में टीवी मोबाइल आदि ले सकते हैं .क़र्ज़ लेने की भी संभावना है
.पत्नी से सम्बन्ध बिगड़ते जायेंगे .
४)कर्क : १,७,४,५,६,१०,११,
भाव प्रभावित होंगे .भाग्येश गुरु रहू-केतु अक्ष पे है .कर्क लग्न में मंगल
योगकारक होता है तथा शनि प्रबल शत्रु अतः मिश्रित फल प्राप्त होंगे .भूमि ,भवन को
लेके तीव्र विवाद होने की प्रबल संभावना है .हतःपाई पोलिस तक की बात भी हो सकती है
.संतान पक्ष से भी निराशा प्राप्त होने के योग हैं .पारिवारिक स्थिति में और अधिक
बिखराव हो सकता है .घुटनों में चोट लग सकती है .दमे की शिकायत हो सकती है .सांस
लेने में रूकावट हो सकती है .वाहन भी अचानक बिगड़ सकता है .कर्म क्षेत्र में
गिरावट ही देखने को मिलेगी .
दिमाग को शांत रखना अत्यंत आवश्यक है .कोई गुप्त रोग
से भी पीडित हो सकते हैं .मनोबल क्षीण होता जाएगा .अधिकारियों से विवाद होगा
.सहकर्मियों से नहीं बनेगी .मानहानि उठा सकते हैं .नौकरी भी बदल सकती है .माता की
सेहत बिगड़ सकती है .
मन विचलित रहेगा .दुस्वप्न आयेंगे .प्रेम सम्बन्ध क्षीण हो
सकते हैं .कहीं से अचानक लाभ भी हो सकता है.
५)मेष : ७,९,१०,११,१,२,४,८
भाव प्रभावित होंगे .भाग्येश रहू केतु के अक्ष पे है .राहू अष्टम से गोचर कर रहा
है .
नया व्यापार ,सम्बन्ध ,साझेदारी शुरू हो सकती है .धन के मामले में धोका हो
सकता है .परिवार के साथ यात्रा पे जा सकते हैं .कोई नया गैर सामाजिक
सम्बन्ध(स्त्री पक्ष से ) भी बन सकता है . कर्म क्षेत्र में लाभ हो सकता है .काला
जादू तंत्र इत्यादि
के फेर में भी पड़ सकते हैं .मनोबल अच्छा होगा .अहंकार की
प्रवृत्ति आ सकती है (बढ़ सकती है ).धन को व्यवस्थित रखने में सफल नहीं होंगे
.विदेश
गमन की इस्छा प्रबल होगी.शयन सुख के लिए खर्चा करेंगे .किसी काम में अचानक
उल्टा होता हुआ भी देखेंगे .अछे चलते हुए काम अचानक किसी व्यर्थ के कारन से रुक
सकते हैं .
पिता के स्वस्थ्य पर विपरीत असर हो सकता है .चरम रोग हो सकते हैं .घर
में कोई नया वाहन का सकते हैं .जमीन के सौदे की चर्चा भी शरू हो सकती है .भाग्य
धोका दे सकता है .पत्नी से विवाद उत्पान हो सकते है .
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