श्री शनि भगवान् के कुछ उपाय
–जिनकी भी शनि की महादशा
,अन्तर्दशा या प्रत्यंतर हो उनके लिए लाभ कारक सिद्ध होगी .
------तुष्टो ददासि वे राज्यं रुष्टो हरसी
तक्षनात-----
१)शनि को प्रसन्न करने के लिए शिव अर्चना /भैरव अर्चना बहुत
प्रभावकारी मानी गयी है .
२)दशरथ कृत शनि स्तोत्र का नित्य पाठ करना चहिये .
३)हनुमान चालीसा का नित्य पाठ कीजिये तथा शनिवार को हनुमानजी को चोला
चढ़ाइए
४)किसी भी शनिवार को जब पुष्य नक्षत्र हो तो बिछुआ की बूटी की जड़ी तथा
शमी (छोकर) की जड़ को काले धागे में सीधे हाथ में बाँधने से लाभ होगा
५)काले घोड़े की नाल लायें या नाव की कील लायें और शनिवार के दिन लुहार
से अपनी माध्यम ऊँगली सीधे हाथ की –के नाप के बनवा के पहन लें .
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६)पीपल वृक्ष के नीचे सांयकाल में दीपक जलाकर सात परिक्रमा करें और
सात लड्डू काले कुत्ते को खिलाएं .
७)शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में तेल भरकर उसमें ७ दाने काले चने के
,७ दाने जौ के ,७ दाने काली उरद के ,सवा रुपया रख कर उसमें अपना मुह देख कर शनि
मंदिर में रख आयें .ये सुबह ११ के पहले ही करना है .
८)काली भैंस या घोड़े को शनिवार के दिन काला देसी चना खिलाने से भी शनि गृह अनुकूल होता है .
९)शुक्रवार की रात को सवा सवा किलो के देसी चना तीन अलग जगह भिगोयें
,शनिवार की सुबह उनको सरसों के तेल में छौंक कर मन ही मन शनि देव को भोग लगा कर
पहला सवा किलो किसी काले घोड़े या भैंस को खिला दीजिये ,दूसरा कुष्ट रोगियों में
वितरित कीजिये ,तीसरा सवा किलो अपने ऊपर से उतार कर किसी वीरान स्थल में जहां से ४
रास्ते जाते हों वहाँ बीच में रख कर आ जाएँ किन्तु कोई देखना नहीं चहिये न टोकना
चहिये .
१०)ॐ शं श्नेस्चाराये नमः –इसकी
एक माला नित्य पूजन में करें .(सही उच्चारण के लिए पुस्तक खरीदिये –गलत कभी मत
कीजिये )
जो भी कीजिये पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ कीजिये .इश्वर सिर्फ भक्त के भाव को देखते हैं
हमेशा ध्यान रखिये .
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